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सकल चराचर विश्वमें / हनुमानप्रसाद पोद्दार

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(राग ईमन)

सकल चराचर विश्व में भरे एक भगवान।
सभी उन्हींके रूप हैं अग-जग तुच्छ महान॥
सबका जो आदर-सहित करता नित समान।
नित स्वकर्मसे पूजता, करता सुख-हित दान॥
पूजा यों करता सदा जो मानव मतिमान।
अति प्रसन्न हो प्रभु उसे देते प्रेम अमान॥
एक आत्मा सभीमें, सबका आत्मा स्थान।
करता हिंदू धर्म इस परम सत्यका गान॥
सब व्यवहारिक भेदमें रखता भाव समान।
सबका वह करता सदा स्वाभाविक कल्याण॥