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सखि सच कहौ ऐसे न देखे सुने सखि सच कहौ / बुन्देली
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बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
राजा जनकजू की पौरपै दशरथ सुत आये।
मोर मुकुट सिर बाँध कें सिय ब्याउन आये।
चंदन खौर काढ़ कें सिय ब्याउन आये। राजा जनकजू की पौर...।।
माथे जो सैरो अत बनो कलगी लगत सुहाई।
चंदन खौर अत बनी टिपकी लगत सुहाई।
नैनन सुरमा अत बनौ सीकें लगत सुहाई।
कानन कुण्डल अत बनौ बारीं लगत सुहाई।
कंठन कंठी अत बनी माला लगत सुहाई।
कैसरिया बागो अत बनौ पनरथ की छवि कही न जाई।
पीताम्बर धोती अत बनी फेंटा की छवि सुहाई।
पाउन तोड़ा अत बनौ सो महावर की छबि लगत सुहाई।
राजा जनकजू की पौर में दशरथ सुत आये।
मोर मुकुट सिर बाँध के सिय ब्याउन आये।