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सखी आए वो कौन / रवीन्द्रनाथ ठाकुर / प्रयाग शुक्ल
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सखी आए वो कौन, लौट जाए हर दिन,
दे दे उसको कुसुम, मेरे माथे से बिन
पूछे वो अगर फूल किसने दिया
नाम लेना नहीं तुमको मेरी क़सम
रोज़ आए वो बैठे यहाँ धूल में
एक आसान बना दे बकुल फूल में
कितनी करुणा भरे हैं ये उनके नयन
बोले वो कुछ नहीं कुछ तो कहने का मन
मूल बांगला से अनुवाद : प्रयाग शुक्ल