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सखी आज कैसी मनोहर घड़ी है / बुन्देली

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सखी आज कैसी मनोहर घड़ी है,
गले राम जयमाल सुंदर पड़ी है।
कलियों में कलियाँ और लड़ियों में मोती
चमकती वो शेहरे की पंखुड़ी है। सखी...
जरा बांध दो कोई नौसे का सेहरा,
लये रंगभूमि में मालिन खड़ी है। सखी...
मिले हर लड़ी पे हमें सौ असर्फी
इसी बात पे आज मालिन अड़ी है। सखी...
नहीं आज फूला समाता अवधपुर
खुशी आज रानी कौशिल्या बड़ी है। सखी...
भई आज शादी सियाराम जी की
खुशी आज राजा जनक को बड़ी है। सखी...