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सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के / मगही

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मगही लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सखी चुनवत पान मोहन प्यारे के॥1॥
जबे जबे हरिजी खरही<ref>खैर, तिनका</ref> चुनावे।
गारी सुनावे मनमान<ref>मनमाना</ref> मोहन प्यारे के॥2॥
ले खरही हरि, टटर<ref>टट्टी</ref> बिनैबो<ref>बुनवाऊँगी</ref> देतन तोर मइया दोकान<ref>दूकान, अर्थात् तुम्हारी माँ अपनी दूकान पर उसी टट्टी को लगायेगी</ref>।
जोग के बीरा<ref>पान का बीड़ा</ref> सखियन देलन, हर लेलन हरि के गेयान॥3॥

शब्दार्थ
<references/>