सखी री कछु तो तपन जुड़ानी।
जब सों सीरी पवन चली है तब सों कछु मन मानी।
कछु रितु बदल गई आली री मनु बरसैगो पानी।
’हरीचंद’ नभ दौरन लागे बरसा कै अगवानी॥
सखी री कछु तो तपन जुड़ानी।
जब सों सीरी पवन चली है तब सों कछु मन मानी।
कछु रितु बदल गई आली री मनु बरसैगो पानी।
’हरीचंद’ नभ दौरन लागे बरसा कै अगवानी॥