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सच्चाई सच्चाई है / कमलेश द्विवेदी
Kavita Kosh से
आज मुकाबिल भाई है.
तब गीता याद आई है.
अपनों से लड़ना होगा,
अपने हक़ की लड़ाई है.
सच को सच वो माना नहीं,
मैंने क़सम भी खाई है.
उसके संग सब लोग मगर,
मेरे साथ खुदाई है.
जंग ये मैं ही जीतूंगा,
सच्चाई सच्चाई है.