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सच्चाई से आँख चुराना अच्छी बात नहीं / रविकांत अनमोल

सच्चाई से आँख चुराना अच्छी बात नहीं
झूठी बातों को दुहराना अच्छी बात नहीं

अपना दामन भी जल सकता है चिंगारी से
दूजे के घर आग लगाना अच्छी बात नहीं

सीधी सादी बात को देना रंग सियासत का
भोले लोगों को बहकाना अच्छी बात नहीं

बातों बातों में पागल करना दीवानों को
आँख मिला के आँख चुराना अच्छी बात नहीं

अब तो अपना वादा पूरा कर दो ऐ दिलबर
हर दिन कोई नया बहाना अच्छी बात नहीं

तेरे शहर में आता हूँ तो दुनिया कहती है
इन गलियों में आना जाना अच्छी बात नहीं