सच्ची मोहब्बत / विस्साव शिम्बोर्स्का / विनोद दास
सच्ची मोहब्बत
क्या यह होना सहज बात है ?
क्या यह इतनी गम्भीर चीज़ है?
क्या यह दुनियादारी के लिए मुफ़ीद है ?
उन दो इंसानों से भला दुनिया को क्या मिलेगा
जो अपनी दुनिया में ही बने रहते हों
लाखों इंसानों में से अन्धाधुन्ध तरीके से उन्हें छाँटकर
बेवज़ह बराबरी की जमीन पर ला दिया गया है
लेकिन वे मुतमईन हैं कि इसे ऐसे ही होना था
हालाँकि किस बात का इनाम है यह ? बस, यूं ही मुफ़्त में !
कहीं सुदूर से प्यार की रोशनी इन पर पड़ रही है
लेकिन इन दोनों पर ही इनायत क्यों ?
दूसरों पर क्यों नहीं ?
क्या यह नाइंसाफ़ी नहीं है ?
जी हाँ ! बिलकुल है ।
क्या यह मेहनत से बनाई गई व्यवस्था को तहस-नहस करना नहीं है ?
क्या यह ऊँची नैतिकता पर हमला नहीं है ?
जी हाँ ! ये दोनों चीज़ें हैं
उस ख़ुश जोड़े को देखो
कम-स-कम वे अपनी ख़ुशी तो छिपा सकते थे
अपने दोस्तों की ख़ातिर थोड़ी सी झूठी हताशा दिखा सकते थे
मगर उनकी हंसी सुनो — यह तो हमारी सरासर बेइज़्ज़ती है
उनकी ज़बान तो साफ़तौर से धोखादेह है
उनकी छोटी-छोटी मौज-मस्तियाँ,उनके रस्मोरिवाज़
रोज़मर्रा के उनके लम्बे-चौड़े तामझाम
ज़ाहिर है
ये सब चीज़ें इंसानियत के ख़िलाफ़ एक साज़िश हैं ।
अगर लोग इनकी राह पर चल पड़े
तो अन्दाज़ा लगाना मुश्किल होगा कि चीज़ें कहाँ तक जा सकती हैं
फिर धर्म और कविता किसके सहारे रहेंगे ?
क्या याद रहेगा ? क्या छोड़ दिया जाएगा ?
कौन बन्धकर रहना चाहेगा ?
सच्ची मोहब्बत
क्या वाकई ज़रूरी है
चतुराई और समझदारी तो यही है
कि ख़ामोश रहकर इस पर कुछ कहा न जाय
जैसे ऊँचे तबके के घोटालों में हम करते हैं
मोहब्बत के बिना भी बेहद अच्छे बच्चे पैदा होते रहे हैं
और मोहब्बत करनेवाले इतने बिरले हैं
कि इनसे लाखों बरसों में यह दुनिया आबाद न होगी
जिनको सच्ची मोहब्बत कभी नसीब ही नहीं हुई
उन्हें बड़बड़ाने दीजिए
कि ऐसी कोई चीज़ ही नहीं होती
बस, उनका यही यक़ीन
उनके जीने-मरने को आसान बना देगा
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास