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सच-झूठ / केदारनाथ अग्रवाल
Kavita Kosh से
सच पर
लदे हैं
झूठ के पोथन्ने
न्याय की मुहिम
सच को नहीं उबारती
संत्रास से
रचनाकाल: ०३-०६-१९७०