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सच और झूठ / पंछी जालौनवी
Kavita Kosh से
झूठ मूट
ख़ामोश रहना
आसान नहीं है
ज़मीर मारना होता है
आवाज़ घोंटनी पड़ती है
तर्क छुपाने पड़ते हैं
बात बदलनी पड़ती है
अपनी साड़ी ताक़त को
ज़बान के आगे रखकर
दिलको दिमाग़ के पीछे
छुपाना होता है
आँखें साध के
सच के पार
देखना होता है
तब जाके
सच और झूठ के बीच
कहीं सर छुपाने की
जगह मिलती है
बड़ी रियाज़त करनी पड़ती है
लफ्ज़-ओ-मआनी पर
तब जाके
झूठ मूट
ख़ामोश रहने का
कमाल आता है ॥