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सच कहबे सूँ फर्ज अदा ह्वै जामतु ऐ / नवीन सी. चतुर्वेदी

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सच कहबे सों फर्ज अदा ह्वै जावै है ।
किन्तु हृदय टुकड़ा-टुकड़ा ह्वै जावै है ॥

हरे नाँय करने हैं फिर सों दिल के घाव।
हस्ती कौ उनबान खला ह्वै जावै है ॥

या’इ जगें इनसान बनावै है तकदीर।
या’इ जगें इनसान हबा ह्वै जावै है ।

ज्ञान अकड़ कें आवै है भगतन के पास।
बच्चन सों मिल कें बच्चा ह्वै जावै है ॥

यार ‘नवीन’ अब इतनौ हू सच मत बोलो।
सगरौ कुनबा सन्जीदा ह्वै जावै है ॥