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सच कहाँ वो बोलता है / देवी नांगरानी

सच कहाँ वो बोलता है
झूठ उसका मश्ग़ला है

मौत थी उसकी सियासी
कह रहे हैं हादसा है

हो गया माहौल रौशन
जाने किसका घर जला है

दोस्त दुश्मन बन के बैठा
क्या किसीको ये पता है

उससे वो बचकर रहेगा
खौफ़ को पहचानता है

कर गया घाटे का सौदा
खुद को उसने तो ठगा है

रिश्ता 'देवी' कैसे तोडूँ
मेरा दिल उनसे जुड़ा है