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सच कहूँ संसार में तुझ-सा कोई दाता नहीं / रंजना वर्मा
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सच कहूँ संसार में तुझ-सा कोई दाता नहीं।
बिन तुम्हारे साँवरे कोई हमें भाता नहीं॥
रूप मनमोहक सुहाना नैन में भर कर रखूँ
अब हमें तेरे सिवा कुछ भी नज़र आता नहीं॥
ढूँढता फिरता विकल मन गाँव गलियाँ कुंज वन
साँवरे का पर कभी कोई पता पाता नहीं॥
जो जगज्जननी जगत को पालती है रात दिन
उस सदृश इस विश्व कानन में कोई माता नहीं॥
ईश के प्रति भाव मन में भक्ति का जागे अगर
साँवरा दिल में जो आ जाता है तो जाता नहीं॥