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सच का ओर-छोर / योगेंद्र कृष्णा
Kavita Kosh से
सच को मैंने अबतक
गलत सिरे से पकड़ रखा था
इसलिए
फिसल गया एक दिन
मेरे हाथ से
और तभी मैंने जाना
हर सच का
एक ओर होता है
और एक छोर भी…