सच का शंख
सच 
सिर्फ 
और सिर्फ 
एक छोटा शंख है 
जो किसी नदी
या सागर-महासागर 
के नितांत एकाकी तल पर 
मिट्टी में सना
पड़ा हुआ है
सच का शंख 
पूरी ताकत से फूंको,
नहीं बजेगा
और बजेगा भी 
तो बहुत धीमा
यकीनना!
धीमी बजने वाली
हर चीज
हवा और प्रदूषण में
इस कदर घुल-मिल जाती है 
कि उसमें आवाज़ बुनाने का 
दमखम नहीं रह जाती 
लिहाज़ा
सच के शंख को 
ढूंढेगा  कौन
अगर ढूंढ भी लिया
तो उसे बजाएगा कौन
और अगर बजा भी 
तो उसे सुनेगा कौन
सच का शंख बजाने के लिए 
सबसे पहले 
ताकत तलाशनी होगी
उसे सुनने के लिए 
मन का कपाट
खोलना होगा.