भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सच के लिबास में दिखाई देना। / प्रकाश बादल
Kavita Kosh से
सच के लिबास में दिखाई देना।
और पेशा है झूठी सफाई देना।
यूं चीखने से बात नहीं बनती,
मायने रखता है सुनाई देना।
लाद गया वो किताबों के भारी बस्ते,
मैने कहा था बच्चों को पढ़ाई देना।
जो दर्द दिए तूने उसका हिसाब कर,
फिर मुझे नए साल की बधाई देना।
कितना अच्छा है पत्त्थर पूजने से,
बीमार ग़रीबों को दवाई देना।
परिंदो का पिजरे में लौट आना है अलग,
अलग बात है उन्हें पिंजरे से रिहाई देना।