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सच है कि तुझे दिल से भुलाते कभी नहीं / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
सच है कि तुझे दिल से भुलाते कभी नहीं ।
लेकिन तेरे खयाल भी जाते कभी नहीं।।
जिसको मुकाम दे नहीं पाती है जिंदगी
वो मौत को गले से लगाते कभी नहीं।।
कैसे निभायें यार जमाने से हम वफ़ा
रस्मो रिवाज इसके लुभाते कभी नहीं।।
उनकी दुआएँ किस तरह बर आयेंगी कहो
मुरझाया हुआ फूल खिलाते कभी नहीं।।
उम्मीद है लगाये मोहब्बत की हमी से
दिल को मगर सुकून दिलाते कभी नहीं।।
दिल में थे जो अरमान जगे दिल में रह गये
ख्वाबों को मेरे आ के सजाते कभी नहीं।।
अब क्या बतायें उसकी शख्सियत अजीब है
जाते न दूर पास भी आते कभी नहीं।।