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सच / कविता गौड़
Kavita Kosh से
सच होता ही है कड़वा सच
सच छुपता ही नहीं छुपाने से ।।
सच बोलता है जो हमेशा
जाता है वह इस ज़माने से ।।
सच को पकड़ कर जो चलता है
पीछे रह जाता है वह ज़माने में ।।