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सजन की ख़ुर्दसाली पर ख़ुदा नाज़िर ख़ुदा हाफ़िज़ / वली दक्कनी
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सजन की ख़ुर्दसाली पर ख़ुदा नाज़िर ख़ुदा हाफ़िज़
रक़ीबाँ की मलामत सूँ मुहम्मद मुस्तफ़ा हाफ़िज़
सजन के हुस्न-ए-अफ़्ज़ूँ पर ख़ुदाया तू अमां करना
कि इस उम्मीद-ए-गुलशन पर अली मुर्तुज़ा हाफ़िज़
सजन के तेग़ अबरू सूँ शहादतगाह पाँवों में
मिरे इस क़त्ल होने पर शहीद-ए-कर्बला हाफ़िज़
सजन का मुख मुनव्वर, नूर आयत, फ़ाल मुस्हिफ़ है
कि अहल-ए-नामुरादाँ पर दुआ-ए-हलअता हाफ़िज़
'वली' ग़मगीं न हो ये भेद असरार-ए-इलाही है
कि तेरी दस्तगीरी पर निगाह-ए-दिलरुबा हाफ़िज़