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सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी / पंजाबी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

(पु)-- सड़के सड़के जान्दिये मुटिआरे नी
कंडा चुबा तेरे पैर बांकिये नारे नी ।
कौन कड्डे तेरा कांडड़ा मुटिआरे नी,
कौन सहे तेरी पीड़ बांकिये नारे नी ।
(स)-- भाबो कड्डे मेरा कांडड़ा सिपाईया वे,
वीर सहे मेरी पीड़ मैं तेरी मेहरम नायों ।
(पु)-- खुअे ते पाणी भरेंदिये मुटिआरे नी,
पाणी दा घुट पिआ, बांकिये नारे नी ।
(स)-- अपना भरया न दवां सिपाईया वे,
लज्ज पई भर पी,मैं तेरी मेहरम नायों ।
(पु)-- घड़ा तेरा जे भन्न देयां मुटियारे नी,
लज्ज<ref>रस्सी</ref> करां टोटे चार, बांकिये नारे नी ।
(स)-- घड़ा भजे कुम्ह्यारां दा सिपाईया वे,
लज्ज पट्टे दी डोर मैं तेरी मेहरम नायों ।


(सस्स)-- वड्डे वेले दी टोरियें सुण नूअड़िये
आयियों शामां पा नी भोलीए नूअड़िये ।
(स)-- उच्चा लम्मा गाबरू सुण सस्सोड़िये,
बैठा झगड़ा पा नी भोलिए सस्सोड़िये ।
(सस्स)-- ओ तां मेरा पुत्त लग्गे सुण नूअड़िये
तेरा लागदा ए खौंद<ref>पति</ref> नी भोलीए नूअड़िये<ref>(प्यारी)बहू</ref> ।
भर कटोरा दुधे दा नी सुण नूअड़िये,
जाके खौंद मना नी भोलीए नूअड़िये ।


(पु)-- तेरा आंदा मैं न पियाँ मुटिआरे नी,
खुई वाली गल सुणा नी बांकिये नारे नी ओ ।
(स)-- निक्की हुन्दी नू छड्ड गया सिपाईया वे,
हुण होइयां मुटिआर मैं ता तेरी मेहरम होई ।
सौ गुनाह मैनूं रब बख्शे सिपाईया वे,
इक बख्शेंगा तू, मैं तेरी मेहरम<ref>प्रेमिका</ref> होई ।

शब्दार्थ
<references/>