भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सड़कों, चौराहों पर मौत और लाशें-7 / पाब्लो नेरूदा
Kavita Kosh से
|
इसी तरह, ठीक इसी तरह
हमारे देश का झंडा तैयार हुआ था
दुखों की फटी हुई कमीज़ से
देशवासियों ने ही इसे सिला
और उनके प्रेम के धागों ने ही
इसकी किनारियों और पटभूमि को सजाया
अपनी चादर से ही काटकर निकाली थी
या हो सकता है कि आकाश के किसी एक टुकड़े से
उन्होंने निकाली हो यह नील पटभूमि
जिस पर उनके देश के सितारे जगमगाते हैं
और लालायित हाथों से उन्हीं लोगों ने
उन सितारों को टाँक दिया था
रक्त की तरह उज्ज्वल उन सितारों को
धीरे-धीरे जो आग की तरह हो उठे प्रज्ज्वलित
अंग्रेज़ी से अनुवाद : राम कृष्ण पाण्डेय