धमाकों के बाद की सुबह
बड़ी अजनबी होती है
चेहरे नहीं पहचाने जाते
फटी सड़कों की छातियों पर
चिपकी होती है ज़िन्दगी
निशान सी।
धमाकों के बाद की सुबह
बड़ी अजनबी होती है
चेहरे नहीं पहचाने जाते
फटी सड़कों की छातियों पर
चिपकी होती है ज़िन्दगी
निशान सी।