सड़क की छाती पर चिपकी ज़िन्दगी ८ / शैलजा पाठक
चिरई गांव के प्राथमिक पाठशाला में
बच्चे सफाई में जुटे हैं
ईटा पे गेरू लगा कर सब साफ-सुथरा
कल स्वतंत्रता दिवस पर सभी को
एक लड्डू एक समोसा देने वाले हैं
सबसे परेशां मिसिर गुरु जी हैं
रंगारंग कार्यक्रम की जिम्मेदारी है उन पर
अब कोई लड़की
इस साल भारत माता बनने को तैयार नहीं
अब उन्हीं को केंद्र में रख कर
सारी बात सारा शपथ तो लेना है
लड़कियों ने निर्णय ले लिया है
हर साल का मजाक है
कभी भारत माता को टूटा हुआ दिखाना है
कभी झुका हुआ, कभी चोट खाया, कभी रक्तरंजित
कभी तार-तार अस्मिता
इस बार एक सांवली लड़की को
भारत माता बनाते तो फीलिंग उभर कर आती
पर इस बार लड़कियों की फीलिंग जाग गई है
सूखी नदी, दरकते पहाड़, फटे कपड़े पहन कर भ्रष्टाचार
गरीब का रोल अब हम नहीं करेंगे
हर साल आपका लिखा एक जैसा भाषण भी नहीं बोलेंगे
नहीं गुरु जी कल हम सब नही आयेंगे
अम्मा तो कहती रही भारत माता को
खूब चटक पीली साड़ी में खूब गहना पहनाकर
ये बड़ा टीका लगाकर सब रंगबिरंगा नाच करते थे
हरियाली खुशहाली का गीत गाते थे
हमें भी खूब नाचना है पाउडर लाली लगा कर
उस तीन रंग के नीचे रंग-रंग हो जाना है गुरु जी।