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सड़क पर नहीं उतरे / बृजेश नीरज
Kavita Kosh से
सड़क पर नहीं उतरे हम
चुपचाप देखते रह गए तस्लीमा का देश से निर्वासन
सह गए दाभोलकर का मर जाना
रुश्दी की गुमनामी हमें नहीं कचोटती
कलबुर्गी की हत्या भी बर्दाश्त कर गए हम
प्रतिरोध के नाम पर शोक सम्वेदनाएँ
देखिए मोमबत्तियाँ मत जलाइएगा
यूँ भी मोमबत्तियों से चट्टानें नहीं पिघलतीं