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सड़क पर मजूरणी / प्रमोद कुमार शर्मा

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तूं
जुगां सूं
लाग री है
सड़का पर फोड़ण दग्गड़ !
साची
तूं भौत बड़ी है
ईं पीलै तावड़े अर
अळसायैड़े सूरज स्यूं।
क्यूं कै, थारै दुखा री गिरमी
इण री तपत सूं ज्यादा है।
सांची बता !
कठै‘ई थाने इण गिरमी स्यूं
परेम तो नीं हुग्यो ?
जे हां:
तो बांट आ दुखां नै
वां रै साथै
जिका
सी‘ल अर अंधारै मांय जी रैया है।
अर दिनोदिन आपरौ ही
लोई पी रैया है !
जिका रा टाबर कूटळै मांय
सोधै है रोटयां
अर सोधता-सोधता
कूटळै मांय ई रळ जावै है।
म्है चाऊं:
तूं थारै दुखां रो सूरज,
वठै तांई लैज्या
जठै तांई नीं पुगै आभै रो सूरज !