भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सड़क / अवतार एनगिल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

परछाईयों के जाल पर
थके कदमों की वापसी
रोज़ की बात है

कभी-कभी लगता है
अब कुछ नया नहीं

फिर भी
तारकोल बिछी सड़कों से हटकर
गाँव के कच्चे रास्तों पर
धड़कते हैं
भागते एक बच्चे के
दो किशोर पाँव !