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सड़क / रेणु हुसैन

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इसे संभल कर
बहुत संभलकर पार करो

बहुत तेज़ रफ़्तार से
भागती है ये
इसे रुकना नहीं आता
ये नहीं कोई नाराज़ नदी
इस महानगर की सड़क है ये

इसे संभल कर पार करो