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सड़सठ / प्रमोद कुमार शर्मा

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अै सगळा भोळा है
जका आपसरी मांय विस्वास करै
जदकै भाखा रो विस्वास सिधरग्यो
-निसरग्यो
राम सांप्रतै ई सबद रो
भूत-भूंवाळी खावै भाव
कुनबो भाखा रो
-कियां बिखरग्यो!