सतवाणी (5) / कन्हैया लाल सेठिया
41.
बंधग्यो भोळा बगत स्यूं
सधसी किंयां अकाळ ?
चाकर नै ठाकर करयो
इण रा हेला झाल,
42.
गगन पून घर में बसै
नित उठ आवै भाण,
लूंठां लारै क्यूं फिरै
फेर हुयोड़ो ढ़ाण ?
43.
तू जाण्यो पण कद करी
बो थारै स्यूं जाण ?
दोन्यां कानी स्यूं हुवै
बीं रो नांव पिछाण,
44.
लियो नहीं जावै मतै
आवै बो संन्यास,
ओ तो मन रो भाव ज्यूं
घड़ै मांय आकास,
45.
फिरै भाखतो परवचन
सुणै न निज रा कान,
भाखै जिण नै आचरै
बीं रा वचन प्रमाण,
46.
कर निनाण तिसणा नसै
हुवै साव निरबीज,
जणां रूंख संतोस रो
फळ देसी गदरीज,
47.
नहीं सबद बोलै भंवूं
गंूगै भंवूं न बोल,
नैण नहीं बीं रै भंवूं
के हीरो अनमोल !
48.
कोजो कादो राग रो
पग पग तिसळै जीव,
छाई नाख अराग री
मिलसी सूख्यां सींव,
49.
जद जद मैं मांदो हुयो
करयो सबद नै चीत,
हणवत बण संजीवणी
ज्यायो पाळी प्रीत,
50.
उमर ढळी अणचेत में
बुझी नैण री दीठ,
पण लो जागी सबद री,
दिखग्यो मनैं अदीठ,