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सत्कार जिन में हमको सिखाया न जायेगा / शोभा कुक्कल

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सत्कार जिन में हमको सिखाया न जायेगा
उन महफ़िलों में हमसे तो जाया न जायेगा

नेता हमारे देश के सब हो गये हैं भ्रष्ट
अब इनसे गीत नेकी का गाया न जायेगा

नासूर मेरे दिल के कभी आके देख जा
लफ़्ज़ों में हाले-दिल तो बताया न जायेगा

चौखट पे उस की सर जो झुका तो झुका रहा
दुनिया जो चाहे लाख उठाया न जायेगा

ज़ालिम उजड़ता है तू क्यों दिल की बस्तियां
उजडी तो इनको फिर से बसाया न जायेगा

मौसम तो नफ़रतों का है सारे जहान में
लेकिन चरागे-अम्न बुझाया न जायेगा।