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सत्ता की गलियों तक पहुँची नारे बनकर गाँवों की बातें / बल्ली सिंह चीमा

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सत्ता की गलियों तक पहुँची नारे बनकर गाँवों की बातें ।
तेरी दिल्ली तक फैली हैं यार हमारे गाँवों की बातें ।

संसद में तो गाँवों के हक़ में बात करे ना कोई भी,
वोट के मौसम में करते हैं राजदुलारे गाँव की बातें ।

गाँवों के रहबर दिल्ली जाकर ऊँचे दामों बिकते हैं,
फ़ाइल में ही दब जाती है अब बेचारे गाँवों की बातें ।

सूखे से तो बच निकला था लेकिन बाढ़ में डूब गया,
बहरी राहत कैसे सुनती आफ़त मारे गाँवों की बातें ।

ऊपर से यह गाँव तुम्हारा कितना सुब्दर लगता है,
चाँदनी रातों में करते हैं चाँद-सितारे गाँवों की बातें ।

गाँवों में रहना कितना मुश्किल रहकर ही तुम जानोगे,
चंडीगढ़ में ही भाती हैं, झील किनारे गाँवों की बातें ।