भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सत्याग्रही बापू / भारत भाग्य विधाता / नन्दलाल यादव 'सारस्वत'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सत्याग्रही अमर छै बापू, भारत के कण-कण मेॅ अभियो,
भारत की सौसे दुनियाँ में, भूलेॅ पारतै कोय्यो कभियो ।

धरती पर भगवान बनी केॅ बापू जना उतरलोॅ छेलै
निर्बल निर्धन लेली ही तेॅ, पौरुष नया संघरलोॅ छेलै ।

कत्तो कोय अन्यायी पीड़क, सत्योॅ के सम्मुख के टिकतै,
सत्य कभी नै काहूँ झुकतै, आरो कहीं न कभियो झुकतै ।

यही सत्य बापू के सम्बल, बापू सत्योॅ केरोॅ सम्बल,
बापू के सम्मुख चललै की, कभियो अन्यायी के छल बल ।

गिरमिटिया लेॅ परदेशोॅ मेॅ गोरोॅ अफसर सेॅ संवाद,
की रं चललै, की नै होलै, तभिये रुकलै वाद-विवाद ।

भारत के कारोॅ लोगोॅ लेॅ, सत्याग्रह के हौ अवतार,
देखी के जे चैकी उठलै सौसें ठो पत्थर संसार ।

कारोॅ कानून गोरोॅ केरोॅ बैशाखे रं तपलौ रौद
या आगिन जैठो मेॅ खौलेॅ, भरलोॅ कुइयाँ, पोखर, हौद ।

ऊ आगिन पर हाथ रखी केॅ बापू नेॅ बतलैलेॅ छेलै,
सत्य बड़ोॅ छै सब झूठोॅ सेॅ, डंका नया बजैलेॅ छेलै ।

जहाँ सत्य के सूरज उगलोॅ, की असत्य के रात ठहरतै,
अन्धकार केॅ मरना ही छै, भोर-भुरकवा उगथैं मरतै ।

याद केना कोय भूलेॅ पारेॅ, सत्याग्रही के हौ आन्दोलन,
चम्पारण में जे कुछ घटलै, याद करी पुलकित छै तन-मन ।

निलहा लोगोॅ पर गोरोॅ के बड़ा क्रूर हौ अत्याचार,
मजदूरोॅ के मजबूरी हौ, मालिक के सम्मुख लाचार ।

गाँधी के सत्याग्रह चललै तेॅ थमलै जाय अत्याचार,
एक सुदर्शन में आगू के तीर, गदा सब्भे बेकार ।

खेड़ा सत्याग्रह बापू के, की गुजरात भुलावेॅ सकतै,
कुछ भी झुकेॅ झुकेॅ दुनियाँ मेॅ, बापू के विश्वास नै झुकतै।

वोरसद सत्याग्रह मेॅ दिखलै, बापू के संकल्प महान,
बिना अस्त्रा के पौरुष खलबल, बापू के अद्भुत संधान ।

मिलीभगत फौजी-डाकू के, टिकलै कहाँ निहत्था सम्मुख,
सुख ऐलै हौले-हौले सब, हौले-हौले गेलै सब दुख ।

गाँधी के विश्वास सत्य पर कहाँ-कहाँ नै जागै छेलै,
पौरुष केरोॅ आग पुरुष जे ओकरोॅ मेॅ सत्याग्रह हेलै ।

हौ सरदार पटेलो तक भी बापू के पथ के अनुगामी,
ई दोनोॅ ही अस्त्रा कि जैमेॅ कहूँ नै कटियो टा भी खामी ।

बापू के सत्याग्रह पथ पर झण्डा दिवस पटेलोॅ के,
अंग्रेजो नै भुललोॅ होतै की कमाल हौ खेलोॅ के ।

चारो तरफ पुलिस के पहरा, चारो दिश दनुज के खेल,
चारो दिश अन्याय के हमला, चारो दिश हथकड़ियो जेल।

तहियोॅ की सकलोॅ छेलै ऊ सत्याग्रही के रेलम रेल,
खाली हाथोॅ के खेला मेॅ काम नै ऐलै शासक खेल ।

सौंसे देशोॅ सेॅ उमड़ी केॅ ऐलोॅ छेलै लोग अपार,
नागपुर अभियो भी झंकृत सत्याग्रह के हौ झंकार ।

जानलकै ई देश देश नेॅ सत्याग्रह के की छै मोल,
एक अस्त्रा हेनोॅ ई जग केॅ, जे अद्भुत अश्रुत, अनमोल ।

तभिये तेॅ हौ वीर लड़ाकू शांते रहलै सत्ये पर,
‘गुरु के बाग’ कथा सब बोलै, सुनै रात-दिन, काल-पहर।

हिंसा पर ई विजय सत्य के, नै छेलै कुछ सालोॅ लेॅ
ई तेॅ एक वरदान बापू के हर युग लेॅ हर कालोॅ लेॅ ।

जे निर्बल धरती पर बेबस, ओकरोॅ लेॅ बड़का वरदान,
बापू आबेॅ लगै वहा रं जे रं अवतारी भगवान ।

बापू के सत्याग्रह पथ पर चलिये केॅ होतै कल्याण,
हिंसा आरो लूटपाट पर चलला सेॅ केकरा छै त्राण ।

एक नया क्रांति केॅ लै केॅ युग बदलै लेॅ ही तेॅ ऐलै,
आबे गहराई छै ऊपर, कल सगर जे चाहै छेलै ।

सत्याग्रह के सूर्य जहाँ छै, वहाँ-वहाँ ही गाँधी छै,
अनाचार के सुखलोॅ पत्ता पर हुहुऐलोॅ आँधी छै ।