सत्य की राह से जब भटकने लगे
रात दिन श्याम का नाम रटने लगे
प्यार का साँवरे के नशा चढ़ गया
श्याम के नाम रस में बहकने लगे
खूब आतंक था बढ़ गया कंस का
गोप श्रीकृष्ण को वीर कहने लगे
साँवरे श्याम के शौर्य को देख कर
खाल में शत्रु अपनी सिमटने लगे
नाश चुन-चुन किया था अनाचार का
दीन हरि को सहारा समझने लगे