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सत्य / महेन्द्र भटनागर
Kavita Kosh से
प्राण-पखेरू
उड़ जाएंगे,
- उड़ जाएंगे !
- प्राण-पखेरू
- उड़ जाएंगे !
काहे इतना जतन करे,
शाम-सबेरे भजन करे,
तेरे वश में क्या है रे
मन्दिर-मन्दिर नमन करे,
इक दिन तन के पिंजर से
प्राण-पखेरू उड़ जाएंगे !
जो कभी न वापस आएंगे !
- उड़ जाएंगे
- प्राण-पखेरू
- उड़ जाएंगे !