नमस्कार दोस्त
आपका शुक्रिया की आपने राम दरश मिस्र जी की इतनी प्यारी ग़ज़ल जोड़ी
कृपया इसके इस शेर को दुबारा जाँचे
मिला क्या न मुझको ए दुनिया त्तुम्हारी, मोह्ब्ब्त मिली, मगर धीरे-धीरे.
धन्यवाद --Shrddha ०३:३८, २८ सितम्बर २००९ (UTC)
नमस्कार दोस्त
आपका शुक्रिया की आपने राम दरश मिस्र जी की इतनी प्यारी ग़ज़ल जोड़ी
कृपया इसके इस शेर को दुबारा जाँचे
मिला क्या न मुझको ए दुनिया त्तुम्हारी, मोह्ब्ब्त मिली, मगर धीरे-धीरे.
धन्यवाद --Shrddha ०३:३८, २८ सितम्बर २००९ (UTC)