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सदस्य:Suryadeep"ankit"

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यौवन !!!

ओस की बूंदों से, भीगा हुआ फूल है ये,

हरित सी मुग्ध धरा पे, रक्त वर्ण, खिला फूल है ये,

पंखुड़ियों मैं है रस, है हरित वर्ण अभी इन पत्तियों मैं भी,

खड़ा है एकटक, बेसहारे, इन झंझावातों मैं भी,

हवा का कोई भी रूप, इसे मिटा नहीं सकता,

तेज बारिश का भी डर इसे सता नहीं सकता,

है ये यौवन रुपी पुष्प, इसने अभी जहाँ नहीं देखा,

क्या होती है आंधी, और क्या है पतझड़, ये नहीं सोचा,

इसे तो बस मदमस्त हो, गुलशन मैं खिलने दो,

रंग चारों तरफ खिलखिलाहट के भरने दो.