सदाकत का तराना सिर्फ जिसने गुनगुनाया है
सियासत ने उसे हर मोड़ पर रुतवा दिखाया है
हवाएँ नफ़रतों की उसकी हस्ती क्या मिटाएँगी,
सदा जिसने अमन का दीप धरती पर जलाया है
सदाकत का तराना सिर्फ जिसने गुनगुनाया है
सियासत ने उसे हर मोड़ पर रुतवा दिखाया है
हवाएँ नफ़रतों की उसकी हस्ती क्या मिटाएँगी,
सदा जिसने अमन का दीप धरती पर जलाया है