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सदा-सदा मेरे सपनों में / भूपी शेरचन / सुमन पोखरेल

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सदा-सदा मेरे सपनों में
असंख्य युवा माताएँ
मेरे सामने आती हैं
और पागलों की तरह
‘अब मेरे दूध का कोई मूल्य नहीं
अब मेरे मातृत्व का कोई अर्थ नहीं -’
बोल का गीत गाती हैं
और मुझे दिखाते हुए
सुअर की भद्दी गंदी बच्चों को जैसे
अतिशय दूध के कारण सुजे हुए अपने
स्तन चूसाती हैं
और अचानक
छाती पीटते हुए
बाल खींचते हुए
मुझसे अपने खोए हुए बेटे मांगती ।

सदा-सदा मेरे सपनों में
असंख्य जीवन द्वारा कुचले हुए
और मृत्यु द्वारा स्वीकार न किए हुए
जीर्ण-तन के वृद्ध
और विदीर्ण मन की वृद्धाएँ
मेरे सामने आकर लेट जाते हैं
और मुझसे
अपने अथाह भविष्य का सूत्र मांगते हैं
अपना खोया हुआ एक पुत्र मांगते हैं ।

सदा-सदा मेरे सपनों में
असंख्य युवा विधवाएँ मेरे सामने आकर
खुद को सम्पूर्ण रूप में नग्न करती है
और बर्फ सी कोमल अपनी त्वचा पर
दुनिया की कामुक आँखों द्वारा जले हुए
काले-काले धब्बे दिखाती हैं,
और मुझसे अपने जीवन का सहारा मांगती हैं
मुझसे अपनी यात्रा का किनारा मांगती हैं।

सदा-सदा मेरे सपनों में
क्षय के कीटाणु लिए हुए
असंख्य अनाथ बच्चे
मेरे सामने आते हैं
और मुझसे स्कूल की फीस
पुस्तक खरीदने का पैसा
क्रिकेट का बैट
और पिता की चुम्बन मांगते हैं
और मांगते हैं सुरक्षा
और मीठी नींद से भरी रातें ।

इसी तरह सदा-सदा मेरे सपनों में
मलाया के असंख्य-असंख्य लोगों की
आंसुओं का
एक बड़ा सागर बन जाता है
जिसकी हर लहर में
एक शव ऊपर तैरता है
एक शव निचे डूबता है
लेकिन डूबने से पहले मुझे
हर शव घृणा से देखता है
आह, मेरे सपनों में मुझे
मेरे यथार्थ का इतिहास घृणा करता है।

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यहाँ तल क्लिक गरेर यस कविताको मूल नेपाली पढ्न सकिनेछ-
सधैं–सधैं मेरो सपनामा / भूपी शेरचन