हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सदा थिर रहियो जी अविचल रहियो जी लाडो तेरी जोड़िया?
बाबा बोई हैं बाबल बोई हैं सुहागों की क्यारियां
चाचा बोई हैं भय्या बोई हैं सुहागों की क्यारियां
मामा बोई हैं जीजा बोई हैं सुहागों की क्यारियां
दादी सींचे री अम्मा सींचे री लोटा भर झारियां
चाची सींचे री भाभी सींचे री लोटा भर झारियां
मामी सींचे री जीजी सींचे री लोटा भर झारियां
अविचल रहियो जी सदा थिर रहियो जी लाडो तेरी जोड़ियां
लाडो हे तेरे गोझे में गुड़-धाणी, तुम बोलो इमरत बाणी, हे राजा की।