भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सदा श्याम-श्यामा पुकारा करेंगे / बिन्दु जी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सदा श्याम-श्यामा पुकारा करेंगे।
नवल रूप निशि दिन निहारा करेंगे।
यमुना तट लता कुञ्ज ब्रज बीथियों में,
विचर कर ये जीवन गुजारा करेंगे।
मिलेगी जो रसिया की जूठन प्रसादी,
वही जीविका का सहारा करेंगे।
बसेंगे करीलों में काँटों में हरदम,
जरात कंटकों से किनारा करेंगे।
जो दृग ‘बिन्दु’ से पाँव धोया करेंगे,
तो पलकों से पथ को बुहारा करेंगे।