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सदी की हवाएँ / प्रमिला वर्मा

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हवाएँ
भागती आईं
वे मुड़ी हैं इस बार
इतिहास के
उन
सफों की तरफ
जहां कुछ शब्द हैं खड़े
ठहरो !
यह चिंता का विषय है
कि
सदी की खौफनाक हवाएं
इतिहास की ओर मुड़ी हैं
और,
एक पूरी की पूरी जमात
मूक सी खड़ी है।