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सनन सनन सांय सांय / हिन्दी लोकगीत

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
पहले डिब्बे में बैठे थे सास और ससुर जी
सीता-राम सीता-राम हो रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
दूजे डिब्बे में बैठे थे जेठ और जेठानी
घूसा-लात घूसा-लात हो रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
तीजे डिब्बे में बैठे थे ननद और ननदोई जी
सोजा मुन्ने, सोजा मुन्ने रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
चौथे डिब्बे में बैठे थे बन्ना और बन्नी
आई लव यू, आई लव यू हो रही थी रेल में

सनन सनन सांय सांय हो रही थी रेल में-२
पाँचवे डिब्बे में बैठे थे देवर और बराती
तांका-झाँकी, तांका-झाँकी हो रही थी रेल में