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सनेहिया के कर्जा / सुभाष चंद "रसिया"

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हमरी माई जइसे हमके दुलार के करी।
अब सनेहिया के कर्जा उधार के करी॥

नौ हो महीना माई गर्भ में ढोवली।
अचरा ओढाके आपन दुधवा पियवली।
अखियाँ में कजरा के सिंगार के करी॥
हमरी माई जइसे हमके दुलार के करी॥

अवटन लगावे हमके झुलुवा झुलावे।
गाई-गाई लोरी मईया हमके सुनावे।
रिझला पर हमरो मनुहार के करी॥
हमरी माई जइसे हमके दुलार के करी॥

रोइला त हमके माई रोजे मानवे।
तरह-तरह के खिलौना दिलावे।
अँगना से चंदा के पुकार के करी॥
हमरी माई जइसे हमके दुलार के करी॥

दुनिया के सारा धाम माई के चरनिया।
भरले भराई नाही केहू से करनीया।
दुबरा ठाढ़ होके रोजे इन्तजार के करी॥
हमरी माई जइसे हमके दुलार के करी॥