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सन्दर्भ / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
जे नहीं जाणैं तू
चितराम रै
सागै जुड़योड़ी कथा
तो तनैं लागसी
ऊंठ पर सवार
ढोला‘र मारू
कोई गेलै बगता बटाऊ,
कोनी ठैरै बां पर
चनेक ही थारी
अणसैंधी दीठ
चट सिरक‘र
टिक ज्यासी
बी फूळ रै
चितराम पर
जकै री मीठी सौरम है