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सन्देश / ज़ाक प्रेवेर / अनिल जनविजय
Kavita Kosh से
दरवाज़ा जो उसने खोला
दरवाज़ा जो बन्द किया उसने
कुरसी जिस पर बैठा वो
बिल्ली जिसको उसने सहलाया
फल जो उसने दाँत से काटा
पत्र जो अन्तिम वो पढ़ पाया
कुरसी जिसको उसने गिराया
दरवाज़ा जो वो खोल पाया
राह जिसपर वो भागा था
जंगल जो वो पार कर पाया
तालाब जहाँ पर चिह्न मिले उसके
शवगृह जहाँ उसको पहुँचाया ।
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय