भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सन्देश / ज़ाक प्रेवेर / अनिल जनविजय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

दरवाज़ा जो उसने खोला
दरवाज़ा जो बन्द किया उसने

कुरसी जिस पर बैठा वो
बिल्ली जिसको उसने सहलाया

फल जो उसने दाँत से काटा
पत्र जो अन्तिम वो पढ़ पाया

कुरसी जिसको उसने गिराया
दरवाज़ा जो वो खोल पाया

राह जिसपर वो भागा था
जंगल जो वो पार कर पाया

तालाब जहाँ पर चिह्न मिले उसके
शवगृह जहाँ उसको पहुँचाया ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय