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सन्ध्या-चित्र-1 / विजयदेव नारायण साही
Kavita Kosh से
उत्तर में एक तारा
आधे आसमान तक
कत्थई प्राचीर-सी
रेखा
गहराती संध्या की
पच्छिम की दीप्त लालिमा से
अदृश्य कोई पक्षी
फेंकता है चीख़
कमन्द-सी
परकोटे पर ।