सपना ऊत निराला रै मेरी रे-रे माटी करग्या / मेहर सिंह
आज रात का जिकर राहण द्यो कती ज्यान तैं मरग्या
सपना ऊत निराला रै मेरी रे-रे माटी करग्या।टेक
सपने आली बात सुणण का करद्यों रै तम टाला
सपने कै म्हैं मनै दिखै था धौले के म्हं काला
सुपना बैरी मारग्या मनैं ज्यूं खेती नै पाला
जीवण जोगा छोड़्या कोन्या रोप्या मोटा चाला
सुपने म्हं ईसा देख्या वो खाट खड़ी मेरी कर ग्या।
सोली करवट सोया था मैं जड़ म्हं होक्का धरकै
आधी रात नै इसा दिख्या जणूं ल्याई जाटणी भरकै
बैठ कै धोरै लागी जगावण थोड़ी थोड़ी डरकै
बैठा होकै घूंट मारले बोली इशारा करकै
सारै दिन तूं बोल्या कोन्या के मेरे बिन सरग्या।
मैं उठकै बैठ्या होग्या जब हूर खड़ी थी जड़ म्हं
धन धन उस मालिक नैं जिनै मोती पोया लड़ म्हं
मीठी-मीठी बोली इसी जणूं कोयल बोलै झड़ म्हं
आता जाता सांस दीखता भूरे-भूरे धड़ म्हं।
उस हूर परी के देखें तैं मेरा प्रेम उसी म्हं भरग्या।
कहै मेहरसिंह मनैं बता दो यो सपना हो जंजाल
सपने आली बणती कोन्या दिखै अपणा काल
माणस बेरा नैं के बणज्या इसा सुपने का हाल
जै सुपणे आली मिलज्या तै हो ज्यां माला माल
सुपने आली हूर देखकै मेरा सारा पेटा भरज्या।