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सपना में भी नै आबै के / कस्तूरी झा 'कोकिल'

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सपना में भी नैं आबै केॅ की रहस्य छै खोलेॅ जी?
ई रंगतेॅ अबताँय नैंहोलै की कारण छै बोलेॅ जी?
जन्म मरण हे मुक्ति मिललौंह?
स्वर्ग लोक में बसलेॅह जी?
मृत्यु भुवन आबैसें बचलेॅह
सदा सुहागिन रहलेॅ जी।
हवा घटा सें जो कुछ कहभौ कहबै सौंसे टोलेॅ जी।
सपना में भी नैं आबै केॅ की रहस्य छै खोलेॅ जी?
सुबह साँझ केॅ लाली प्रियहेॅ
तोरे सिन्दूर लागै छै
लाल टुभुक मनमोहक गोला
तोरे बिन्दी साजै छै।
चिड़िया चुनमुन से जे कहभौ लागतै मिसरी घोलेॅ जी।
सपना में भी नैं आबै केॅ की रहस्य छै खोलेॅ जी।
रोज रात पूछबै तारा से
कौन संदेशा भेजने छौं।
हाल चाल की रंगछै हमरौॅ।
भेजैलेॅ भी कहने छौॅ।
केनाँ जैते तोहीं बताबेॅईरंग जीवन ढोलॅ जी?
सपना में भी नैं आबै केॅ की रहस्य छै खोलेॅ जी?

29/05/15 4.55 सायं