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सपना सजों रहे / सांवर दइया
Kavita Kosh से
नहीं
कुछ फर्क नहीं पड़ेगा
यदि ये शिलाएं न लगे राम मंदिर में
नहीं
कुछ फर्क नहीं पड़ेगा
यदि ये पत्थर न लगे बाबरी मसिजद में
लाओ,
इधर लाओ
ये शिलाएं
ये पत्थर
यह सीमेंट
यह चूना
यह गारा
ये सब इधर लाओ
यहां हम
हर आदमी के लिए
घर बनाने का सपना संजो रहे हैं
आओ
इधर आओ
हमारा सपना सच बनाने में जुट जाओ
यह आग्रह गलत तो नहीं है ना ?
चुप क्यों हो ?
कुछ तो बोलो......
इधर तो आओ......।